संतराम वत्स्य का जन्म १२ मई १९२३ के दिन हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले की पालमपुर तहसील के धनीरी गाँव के एक साधारण परिवार में हुआ.
बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु होने के बाद उनकी माँ ने उन्हें पालपोस कर बड़ा किया. गाँव के स्कूल में चोथी कक्षा तक उर्दू में शिक्षा प्राप्त करने के बाद १९४१ में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, होशियारपुर से विशारद की शिक्षा ग्रहण की. घरेलु परिस्थितियों के कारण अध्ययन जारी नहीं रख सके. गाँव में आमदनी के साधन न होने के कारण १९४२ में लाहौर में काम की तलाश में गए. इसी बीच हिंदी भवन, लाहौर, राजपाल एंड सन्ज़ तथा आर्य प्रतिनिधि सभा में कार्य किया.
१९४७ में देश के विभाजन के बाद कुछ महीने लाहौर में ही रहे. अक्टूबर १९४७ में उनके बड़े भाई जो सेना में थे, उन्होंने संतराम जी को ढूंडा और सेना के ट्रक में लेकर दिल्ली लाये.
नवम्बर १९४७ में दिल्ली आकर राजपाल एंड सन्ज़ में कार्य करने लग संस्कृत व व्याकरण का अच्छा ज्ञान होने के कारण हिंदी प्रूफ रीडिंग में उनकी अच्छी पकड़ थी. दिल्ली स्थित हिंदी की प्रमुख प्रकाशन संस्थानों में प्रकाशनाध्यक्ष के पद पर कार्य करते हुए, साथ साथ हिंदी लेखन भी शुरू किया. हिंदी लेखन में उनका कार्यक्षेत्र बाल साहित्य रहा.
उन्होंने विभिन्न विषयों पर पुस्तके लिखी. “बाल-मित्र ज्ञान-विज्ञान माला” के अन्तर्गत 15 पुस्तकें, “जीवन ज्योति माला” के अन्तर्गत देश-विदेश के 10 वैज्ञानिकों की जीवनियां, बच्चों के लिए इतिहास-पुराण पर आधारित ज्ञान की कहानियां (पुरस्कृत), मानव धर्म की कहानियां, चरिण-निर्माण की कहानियां, छात्र-जीवन की कहानियां, देश-प्रेम की कहानियां, पंजाब की प्रेम-कथाएं, हिमाचल प्रदेश की लोक कथाएं तथा मेरा देश है यह, कूडे से करोड़ों, जंगल में मंगल, राजा भोज (सभी पुरस्कृत ), स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानन्द एवं स्वामी रामकृष्ण परमहंस की किशोरोपयोगी जीवनियां तथा किशोरों के लिए ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के अतिरिक्त लगभग 150 पुस्तकें उन्होंने लिखी.
श्री संतराम वत्स्य की अनेक पुस्तकें भारत सरकार, दिल्ली प्रशासन और पंजाब भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत हुई हैं.
२१ मार्च १९८८ को अचानक दिल का दोरा पड़ने से उनका देहान्त हो गया.
यह वेबसाइट उनके परिवार की तरफ से उन्हें एक छोटी सी श्रधान्जली है .